वो अल्फ़ाज़ ही क्या जो समझाने पड़े हमने मोहब्बत की है कोई
डिक्शनरी नहीं लिखी ||
Valentine Week Special :-
खुशनसीब था वो जिसने तुम्हे पाया ,
बदनसीब था मेरा दोस्त जिसे तुमने मामा बनाया ,
सुनकर अच्छा लगा की तुमहारे लिए पुत्र और पुत्री एक समान हैं ,
लेकिन मेरे दोस्त को क्यूँ ठुकराया, मेरा दोस्त भी तो एक इंसान हैं ||6||
बेगानो से क्या शिकायत करू,
जब हमे अपनो ने ही ठुकराया,
कांटो से क्या शिकायत करू,
जब हमने फुलो से ठोकर खाया ||5||
मुझे कोई अफ़सोस नहीं तेरी इस बेरुखी का;
अब तो मुझे आदत सी हो गयी है।
कोई गिला नहीं कोई शिकवा नहीं;
तन्हाई जो साथ हो गयी है||4||
"गर तू जिंदा है तो ज़िन्दगी का सबूत दिया कर !
वरना, ये ख़ामोशी तो कब्रिस्तान में भी बिखरी देखी है हमने "!!3!!
आंखे रो रही थी पर होठो को मुस्कुराना पड़ा,
दिल में था दर्द पर खुश हु जाताना पड़ा.
जिन्हें हम बता देना चाहते थे सब कुछ,
बारिस का पानी कह आंसुओ को छुपाना पड़ा ||2||
पथर की है दुनिया ज़ज्बात नही समझती,
दिल मे क्या है वो बात नही समझती,
तन्हा तो चाँद भी है सितारों के बीच,
पर चाँद का दर्द वो रात नही समझती ||1||
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